झट से कहती आचार्य जी लोग आये हैं क्या झट से कहती आचार्य जी लोग आये हैं क्या
,तब हम अपने नाना के यहां गर्मियों की छुट्टी मे जाकर रईस हो जाते। ,तब हम अपने नाना के यहां गर्मियों की छुट्टी मे जाकर रईस हो जाते।
फिर ए .... और बैटरी की जाती जान के साथ ! फिर ए .... और बैटरी की जाती जान के साथ !
नब्बे के दशक के आशिक डरपोक थे नब्बे के दशक के आशिक डरपोक थे
बहुतों के समझ से दूर इस पीढ़ी के,एक वी सी आर होता था बहुतों के समझ से दूर इस पीढ़ी के,एक वी सी आर होता था
अब मैंने उससे पैसे मांगना छोड़ जो दिया है। अब मैंने उससे पैसे मांगना छोड़ जो दिया है।